- Vishwajeet Maurya
इंसानों को शौचालय में क्वारंटीन कर अधिकारियों ने धोये साबुन से हाँथ
व्यक्ति जहाँ बैठ कर खाना खा रहा है, उसके बाहर ही दीवार पर लिखा है कि “स्वच्छ भारत”. जिस जगह पर भैयालाल बैठे हैं वह तो कहीं से भी स्वच्छ नही है. हालांकि, दूसरी तरफ जो बात लिखी गयी है कि “साबुन से हाँथ धोंएं” वह अधिकारियों के लिए है. एक मजदूर को शौचालय में क्वारंटीन कर वो साबुन से हाँथ धो चुके हैं.
-Govind Pratap Singh


भारत में कोरोना संकट के बीच देश भर से अलग-अलग तस्वीरें सामने आ रही हैं. देश में अमीर-गरीब के बीच का गहरा फर्क साफ़ दिख रहा है. अमीरों को विदेशों से हवाई जहाज से वापस लाया जा रहा है तो वहीं हवाई चप्पल पहननें वाला गरीब सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल कर अपने घरों तक पहुँच रहा है. बेबस मजदूर वर्ग अपने परिवार के साथ तपती सड़कों पर सूरज की सीधी गर्मी को झेल कर आगे बढ़ रहा है. ये वही सरकार है जिनके बयानवीर कहते थे कि “अब हवाई चप्पल पहननें वाला भी हवाई जहाज से उड़ सकेगा”. गरीब हवाई जहाज से तो नहीं उड़ पाया पर हालत ऐसे हो गए कि आसमान में दम भरने का दावा करने वाली कई उड़ान कम्पनियां अब नीलामी की कगार पर खडीं है. खैर ....
लॉकडाउन के दौरान हमने देखा कि डॉक्टर बिना पी.पी.ई किट के कोरोना से सीधी टक्कर ले रहे थे लेकिन उन्हें घर खाली करने को कहा जा रहा था. जरूरी मेडिकल इक्विपमेंट न होने के कारण कोरोना से संक्रमित मेडिकल स्टाफ, नर्सेस देखी. घर पहुँचाने की आस में बाहर निकले मजदूरों को रोड पर पुलिस से पिटते देखा.

ओवेरब्रिज की छाँव में पड़े मजदूर देखे. तपती धूप में सर पर बोझा लादे छोटी बच्चियों को देखा. सड़क पर परिवार के साथ चलती, पीठ पर अपने दुधमुंहे बच्चों को बांधे और सिर पर सामान से भरे बैग को रखे औरतों को देखा. भूख से रोते-बिलखते बच्चे भी देखे. इलाज के लिए भटकते बीमार और उनके परिवार को देखा. बेबस और घर पहुँचने की एक छोटी सी आशा मन में लिए दिन-रात पैदल और साइकिल से जाते मजदूर देखे. गरीब, अपने गाँव की पैदल यात्रा में दम तोड़ रहा था तो वहीं दूसरी तरफ देश का एक वर्ग बिना लाग-लपेट के थाली पीट रहा था, घर की लाइट बुझा कर दिए जला जा रहा था. मजदूरों की रोजाना की आमदनी से 2 गुना महंगी कॉफ़ी पीते हुए बुद्धिजीवियों को इन असहायों की तस्वीरों को टी.वी. पर देख कर, कोरोना को फैला देने का ज्ञान बघारते भी देखा.

अब बात करते हैं ‘मामा के मध्यप्रदेश की’. स्वच्छ भारत का दम फूंकने वाली सरकार और उनके आला अधिकारियों ने इंसानों को शौचालय में क्वारंटीन कर दिया. शौचालय के भीतर एक मजदूर अपने परिवार के साथ रहने और खाना खाने को मजबूर है. तस्वीरें गुना जिले की ग्राम पंचायत टोडर की हैं. टोडर गाँव के भैयालाल सहरिया अपने परिवार के साथ राजस्थान से अपने गाँव लौटे थे.

वहां से लौटने के बाद भैयालाल को परिवार सहित स्कूल के शौचालय में ही क्वारंटीन कर दिया गया. भैयालाल के पास कोई विकल्प था भी नहीं तो उन्होंने परिवार के साथ वहीं खाना खाया और आराम भी किया. तस्वीरें वायरल होते ही प्रशासन हरकत में आया और बाद में परिवार को शौचालय से अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया.
जब चादर ओढ़ कर सोये अधिकारियों की नींद में ख़लल पड़ा तो जिला प्रशासन की तरफ से बयानवीरों ने अपने-अपने दुर्ग से बयान देने शुरू किये. पहले तो इस तस्वीर को ही झूठा करार दिया गया लेकिन जब लगा कि अब मामला बिगड़ रहा है तो कहा गया कि जब ये तस्वीर ले गयी तो परिवार खुद ही शौचालय में भोजन कर रहा था. ये वैसा ही है कि जब चादर के नीचे घी पिया जाए और अचानक से कोई आ जाये तो सब कुछ बिखर जाता है. अब इस मामले में कुछ ऐसा ही हो चुका था. सवाल ये है कि आख़िर क्यों कोई खुद की मर्ज़ी से शौचालय में जाकर खाना खाने पर मजबूर होगा, जब तक कि उसके सामने मजबूरी नहीं होगी ?
कल शाम तक इलाके के सीइओ जीतेन्द्र धाकरे ने इस मामले की जानकारी से इनकार कर दिया तो राघोगढ़ के एस.डी.एम. बृजेन्द्र शर्मा ने कहा कि इस सम्बंध में शिकायत मिली थी. मामला सामने आने के बाद तुरंत ही परिवार को अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया था और जांच के आदेश दे दिए गए हैं. हालांकि अभी तक किसी भी तरह की अनुशासनात्मक कार्रवाई की खबर सामने नहीं आई है. जिसकी उम्मीद कम ही है. ये व्यक्ति जहाँ बैठ कर खाना खा रहा है, उसके बाहर ही दीवार पर लिखा है कि “स्वच्छ भारत”. जिस जगह पर भैयालाल बैठे हैं वह तो कहीं से भी स्वच्छ नही है. हालांकि, दूसरी तरफ जो बात लिखी गयी है कि “साबुन से हाँथ धोंएं” वह अधिकारियों के लिए है. एक मजदूर को शौचालय में क्वारंटीन कर वो साबुन से हाँथ धो चुके हैं.
अब आपको बता दे कि टोडर गाँव जिस राघोगढ़ का हिस्सा है, वह पूर्व सी.एम. और मध्यप्रदेश में कांग्रेस को नई उचाईयों तक ले जाने वाले दिग्विजय सिंह के गृहनगर और विधानसभा सीट का हिस्सा है. ये गुना जिला है, जहाँ से सांसद थे ‘महाराज’ ज्योतिरादित्य सिंधिया.
‘महाराज’ के इलाके में प्रजा का ये हाल है. आशा ये है कि महाराज इस मामलें में संज्ञान लेंगे और अब तो राज्य व केंद्र में उनकी पार्टी की सरकार है. आशा ये भी है कि पिछली सरकार में बात न सुने जाने के कारण भाजपा में गए ‘महाराज’ की अब सुनी जाएगी.
कथा समाप्त ...