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पहले राष्ट्रपति जिन्होंने जेबी वीटो का प्रयोग किया !
राष्ट्रपति राष्ट्र के प्रथम नागरिक माने जाते हैं. कार्यपालिका संबंधी शक्तियां, विधायी शक्तियां और संकटकालीन शक्तियां के अलावा राष्ट्रपति के पास वीटो शक्ति भी होती है. वीटो शक्ति यानी निषेधाधिकार. पहली आत्यन्तिक वीटो जिसमें राष्ट्रपति किसी विधेयक पर अपनी अनुमति नहीं देता या अनुमति को सुरक्षित रख लेता है, दूसरी है निलम्बनकारी वीटो जिसमें राष्ट्रपति किसी विधयेक को संसद के पास पुनर्विचार के लिए भेज सकता है. तीसरा आता है जेबी वीटो जिससे राष्ट्रपति किसी विधयेक को अनिश्चित काल के लिए अपने पास सुरक्षित रख सकता है. कहने का मतलब इस वीटो की शक्ति के प्रयोग से राष्ट्रपति किसी विधेयक पर न यो अनुमति देता है, न ही अनुमति देने से मना करता है और न ही पुनर्विचार हेतु संसद के पास भेजता है.

राष्ट्रपति की इसी अनोखी शक्ति के पहले प्रयोग को न्यूज़िया आपको बताएगा -
विवादास्पद भारतीय डाक (संशोधन) विधेयक 1986 के संबंध में तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैलसिंह ने जेबी वीटो का प्रयोग किया था. ये पहली बार था भारत में जब किसी राष्ट्रपति ने जेबी वीटो का प्रयोग किया था. ज्ञानी जैलसिंह भारत के सातवें राष्ट्रपति थे. इनका कार्यकाल 25 जुलाई 1982 से 25 ही जुलाई 1987 तक था . गुलाम भारत मे अंग्रेजों के कृपाण पर रोक लगाने के विरोध में ज़ैल सिंह को जेल भी जाना पड़ा था. पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैलसिंह की मृत्यु 25 दिसम्बर 1994 को सड़क दुर्घटना में हुई थी.